Not known Factual Statements About naat lyrics owais raza qadri
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naat lyrics urdu
तेरे हाथ में हाथ मैं ने दिया है तेरे हाथ है लाज, या ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! निकाला है पहले तो डूबे हुओं को और अब डूबतों को बचा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! भँवर में फँसा है सफ़ीना हमारा बचा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! बचा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन द
اے شہنشاہِ مدینہ اے شہنشاہِ مدینہ الصلوٰۃ والسّلام زینتِ عرشِ مُعلّیٰ الصلوٰۃ والسّلام رب ہب لی امتی کہتے ہوئے پیدا…
क़िस्मत के अँधेरों में दिन-रात भटकता है
●जन्नतुल फ़िरदौस के बागो-बहार अपनी जगह : नात हिंदी में लिखी हुई
ख़िदमत में ले के आई हूँ मैं अपने दोनों ला'ल
इस ज़िक्र दी बरकत नाल मेरी क़ब्र वसा देणा
मैं पानी का प्यासा नहीं हूँ मेरा सर कटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो देखा है
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मैं तूफ़ान के दरमियां हूँ और आंधी चल रही है
या हुसैन इब्न-ए-'अली ! या हुसैन इब्न-ए-'अली !
मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं ग़ौस-उल-आ'ज़म हो, ग़ौस-उल-वरा हो नूर हो नूर-ए-सल्ले-'अला हो क्या बयाँ आप का मर्तबा हो ! दस्त-गीर और मुश्किल-कुशा हो आज दीदार अपना करा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं सुन रहे हैं वो फ़रियाद मेरी ख़ाक होगी
Yeh naat lyrics ek bebas rooh ki rawani ka izhar karta hai, jo apne maqsad, apne ishq, aur apne dil ke awaz ko bayan karta hai. Lajpal Nabi ke darbar mein jana, unki mehfil mein bhaag lene ka junoon aur ishq e Rasool (ﷺ) ka izhar karne ki tamanna se bhari hui hai.
●मदीने के सपने सजाने लगे हैं : लिखी हुई नातें प्रेमनाथ बिस्मिल